मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर से बढे.गी उत्पादकता
बूटीबोरी में आयोजित कार्यक्रम में लीन मैन्युफैक्चरिंग सलाहकार क्षितिज के उद्गार
नागपुर। 18 दिसंबर (लोस सेवा)
लीन मैन्युफैक्चरिंग सलाहकार दिनेश क्षितिज के अनुसार लीन मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर उत्पादकता बढ.ाने में कारगर सिद्ध हुआ है. राज्य के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में यह सफल रहा है. बूटीबोरी औद्योगिक क्षेत्र में भी इसके लिए अपार संभावनाएं हैं. उद्योगों को इसके लिए साझा प्रयास करने चाहिए. क्षितिज बूटीबोरी मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन व एमएसएमई की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वे बोल रहे थे.
क्षितिज ने बताया कि मुंबई, ठाणे और पुणे में एमएसएमई के सहयोग से लीन मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर फायदे में चल रहे हैं. उन्होंने इसे मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए भी फायदेमंद बताया. लीन मैन्युफैक्चरिंग में कस्टमर रिलेशंस, प्रोडक्ट डिजाइन, सप्लायर नेटवर्क, फैक्ट्री मैनेजमेंट, क्वालिटी में सुधार, कम से कम वेस्ट और लागत घटाने पर फोकस किया जाता है. क्षितिज के अनुसार लीन मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के लिए कम से कम 6 से 10 उद्योगों को एकसाथ आना जरूरी है. एमएसएमई के सहयोग से किसी भी क्षेत्र में एक या इससे ज्यादा क्लस्टर शुरू किए जा सकने की बात उन्होंने कही.
एमएसएमई के डायरेक्टर पी.एम. पारलेवार ने मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की उपयोगिता के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर से पहले मंजूरी पाने के लिए उद्योगों को जल्द क्लस्टर का फॉर्मेट बना लेना चाहिए.
कार्यक्रम में बीएमए के अध्यक्ष प्रदीप खंडेलवाल, उद्योजक शशिन अग्रवाल, मनीष संघवी, एम.जी. आष्टीकर, अमित पारधी, वीरेश खिरवाल, किरण येलणे, शेजाद डुंगाजी, हितेश अग्रवाल, अजय गुप्ता, जीवन घिमे, प्रशांत मेश्राम, राकेश सुराणा, पार्बती महतो, प्रदीप राऊत, जगदीश पटेल आदि उपस्थित थे.
बूटीबोरी में आयोजित कार्यक्रम में लीन मैन्युफैक्चरिंग सलाहकार क्षितिज के उद्गार
नागपुर। 18 दिसंबर (लोस सेवा)
लीन मैन्युफैक्चरिंग सलाहकार दिनेश क्षितिज के अनुसार लीन मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर उत्पादकता बढ.ाने में कारगर सिद्ध हुआ है. राज्य के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में यह सफल रहा है. बूटीबोरी औद्योगिक क्षेत्र में भी इसके लिए अपार संभावनाएं हैं. उद्योगों को इसके लिए साझा प्रयास करने चाहिए. क्षितिज बूटीबोरी मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन व एमएसएमई की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वे बोल रहे थे.
क्षितिज ने बताया कि मुंबई, ठाणे और पुणे में एमएसएमई के सहयोग से लीन मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर फायदे में चल रहे हैं. उन्होंने इसे मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए भी फायदेमंद बताया. लीन मैन्युफैक्चरिंग में कस्टमर रिलेशंस, प्रोडक्ट डिजाइन, सप्लायर नेटवर्क, फैक्ट्री मैनेजमेंट, क्वालिटी में सुधार, कम से कम वेस्ट और लागत घटाने पर फोकस किया जाता है. क्षितिज के अनुसार लीन मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के लिए कम से कम 6 से 10 उद्योगों को एकसाथ आना जरूरी है. एमएसएमई के सहयोग से किसी भी क्षेत्र में एक या इससे ज्यादा क्लस्टर शुरू किए जा सकने की बात उन्होंने कही.
एमएसएमई के डायरेक्टर पी.एम. पारलेवार ने मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की उपयोगिता के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर से पहले मंजूरी पाने के लिए उद्योगों को जल्द क्लस्टर का फॉर्मेट बना लेना चाहिए.
कार्यक्रम में बीएमए के अध्यक्ष प्रदीप खंडेलवाल, उद्योजक शशिन अग्रवाल, मनीष संघवी, एम.जी. आष्टीकर, अमित पारधी, वीरेश खिरवाल, किरण येलणे, शेजाद डुंगाजी, हितेश अग्रवाल, अजय गुप्ता, जीवन घिमे, प्रशांत मेश्राम, राकेश सुराणा, पार्बती महतो, प्रदीप राऊत, जगदीश पटेल आदि उपस्थित थे.
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